मन न माने प्रीत से, नई कहें क्या रीत?
जैसल किसकी हार है, औ है किसकी जीत॥1
रमता जोगी चल दिया, गाँव-गाँव परदेश।
जैसल भोगी क्या करे, अब गाँव हुआ परदेश॥2
जैसल गाना गाय के, बाजा लिया बजाय।
काम किया कुछ भी नहीं, सो गए जा के खाय॥3
घोड़ी चढ़कर चल दिए, लाने को बारात।
मदिरा पीकर कर रहे, जैसल मुकालात॥4
संसद में बैठे सभी, भाई भ्रष्टाचार।
जैसल इनके पास कहाँ, आचार औ विचार॥5
संसद बैठी रो रही, कोने अपरंपार।
बहस करेगा कौन अब, बिल का है अंबार॥6
जैसल बिछड़े आप से, चैन नहीं दिन-रैन |
अँखियाँ हो गईं बावरी, मुख में नहीं बैन || 7
जैसल किसकी हार है, औ है किसकी जीत॥1
रमता जोगी चल दिया, गाँव-गाँव परदेश।
जैसल भोगी क्या करे, अब गाँव हुआ परदेश॥2
जैसल गाना गाय के, बाजा लिया बजाय।
काम किया कुछ भी नहीं, सो गए जा के खाय॥3
घोड़ी चढ़कर चल दिए, लाने को बारात।
मदिरा पीकर कर रहे, जैसल मुकालात॥4
संसद में बैठे सभी, भाई भ्रष्टाचार।
जैसल इनके पास कहाँ, आचार औ विचार॥5
संसद बैठी रो रही, कोने अपरंपार।
बहस करेगा कौन अब, बिल का है अंबार॥6
जैसल बिछड़े आप से, चैन नहीं दिन-रैन |
अँखियाँ हो गईं बावरी, मुख में नहीं बैन || 7
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